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Showing posts from July, 2015

कुछ छोड़ कर जाती है !

हर बार जब वो आती है  तो कुछ छोड़ कर जाती है।। पलंग के नीचे मिली इक कान की बाली, खिलौने बने सिक्कों की इक डिब्बी खाली । सोफे के किनारे पड़ा इक रंगीन स्कार्फ़, और मेरी डायरी पे कुछ आध...

वो लड़का जिससे मैं ब्याह करके आई थी

नहीं मिलता है। ढूंढती हूँ तो भी, और नहीं तो भी, वो लड़का जिससे मैं ब्याह कर आई थी घिरा रहता है पैसे कमाने के चक्करों में। बच्चों की फीस या उनके रोज़ाना की टक्करों में । मसरूफ सा क...